चाँद न चाहूं, मुझे दाग अच्छा लगता है...
अमावस की रात में, जुगनू का राग अच्छा लगता है..
सांवली हो ,चाहे हो दूध धुली,
मुझे हर सफ़र तुम्हारा साथ अच्छा लगता है ... —राकेश-
इश्क़ का बाज़ार लगने लगा हैं .....
कहता है प्रेम है
रोज़ प्रेमिकाएं बदलने लगा है.....-
झूठ नहीं बोलती अब, मना कर देती है...
लगता है अब इश्क़ समझदार हो गया हैं.....-
शिक्षक की कोई परिभाषा नहीं है पर, हम इसे कुछ नाम दे सकते हैं –राह, दिशा दिखाने वाला।ज़िंदगी में सिर्फ किताबी ज्ञान देने वाला ही शिक्षक नहीं होता बल्कि हर वो प्राणी शिक्षक होता हैं जिससे हम कुछ सीखते हैं।एक अच्छा शिक्षक वो हैं जो हमें साधारण लड़के से चंद्रगुप्त बना दे, महाभारत की दिशा बदल दे ।गुरु तो दैत्यों के भी थे पर ,कहते है ना गुरु गुरु में भेद है।तो अच्छा गुरु होना भी एक महत्त्वपूर्ण पहलू है। कुछ को छोड़कर सभी के पहले गुरु माता पिता ही होते हैं। माता पिता मतलब संस्कार का खज़ाना। संस्कार भी तो एक शिक्षा ही है ।आप ख़ुद भी अपने गुरु हो सकते है। गुरु का शब्दों में वर्णन एक तुच्छ सी बात है।
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
धन्यवाद! 🌻🌻 —राकेश कुमावत ❣️-
हर वक्त, वक्त नहीं मिलता
कि तुम्हारे लिए वक्त निकाल सके .....-
जब कोई जाता है तो मुझे जाने वाले से ज्यादा दुःख चाहने वाले के लिए होता है....
अब जिएगा कैसे वो 😭😭.....-
मैं जब जब तुम्हें देखता हूं लगता है आज मीरा नहीं कृष्ण तुमसे प्रेम करेगा.....
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Hello friends 😁😁
I am coming back 😂😂
स्वागत नहीं करोगे हमारा 😅😅-