जो बैचेन है मुझमें वो है कौन
ओर जो बेफ्रिक था मुझमें वो है कहाँ,
बस यही फर्क जवानी ओर बचपन में लिखा ।
बस यही फर्क जवानी ओर बचपन में लिखा ।-
हम तो दिलों की बात करते हैं ,
अभी बाकी हैं पूरी किताब
ए महफिल
बस यही ... read more
ख़ुशी, रुकीं न कई मर्तबा,
उसके, न आने के कई बहाने है,
मुस्कुरा के जिंदगी में,
मैंने, छुपाए गम कई सारे है,
दिन गई, रात गए,
गए साल, गए जमाने है,
गम है, बिस्तर मेरा,
ओर बैचैनी मेरे सिरहाने हैं।-
उसने ठुकराया था मोहब्बत मेरा,
पाने को ऐसों-आराम दौलत-शोहरत,
ख़बर आया है, कि वो लौट आए हैं शहर में,
और केशा पैगाम ये है,
वो फिर सुकून की तालाश में,
हमसे मुलाकात की कोशिश में है।-
रात से,
इस उम्मीद में हूं,
की नींद आए,
फिर ख्वाब आएं,
और अब सवेरा हो चला है,
कमबख़्त
न नींद आई,
न ख्वाब आएं।-
हमें उस रूह का इंतजार है,
जिसके लिए सहेज के रखा,
मैंने, मेरा इकलौता इजहार है।-
हमनें सुनाई नज़्म अपनी,
असर तो देखो महफ़िल में,
जिसने समझा,
जिसने... समझा.......
उसने वाह वाह किया,
और
जिसने महसूस किया,
वो खामोश रह गया।-
जब जब मुझको तेरा खुबसूरत अक्ष दिखा है।
मैंने तारीफ में तेरे लिए कागज, श्याही, कलम ओर कुछ लफ्ज़ लिखा है।।-
पुराने एलबम निकालें हैं,
हर कोई, पुछता क्या देख रहे हैं?
हमने भी कहा,
नम सी आंखें, धीमी सी आवाज में,
यादें कुरेद रहे हैं,
यादें कुरेद रहे हैं।-
लिख कर रखे थे अहसास,
जो अपने पिटारे में बंद करके।
उन्हें आज सामने रख दिये हैं,
खुद को सताने के लिए।-