Rakesh Kala  
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Joined 14 December 2018


Joined 14 December 2018
17 JUN 2020 AT 12:59

मन के किसी कोने में पड़ी कड़वाहट को क्वारनटाइन करें क्या पता कोई रिश्ता वेंटिलेटर पर जाने से बच जाये l

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27 APR 2020 AT 13:47

परमपिता परमात्मा को सर्वव्यापी कहना ,या अपने को ईश्वर कहना ,कण कण में है कहना ,ऐसा कहने वालों के लिए भी बहुत बड़ी सजा है ,जब समय आयेगा तो इन सबसे हिसाब लिया जायेगा,कयामत के समय सबका हिसाब किताब चुक्तू होगा? ईश्वरीय महावाक्य 27-4-2020

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27 JAN 2020 AT 17:48

शास्त्रों में लिखा है ब्रह्मा का दिन और ब्रह्मा की रात ? मगर समझते नहीं हैं कि कैसे ? तो सुनो सतयुग त्रेतायुग है ब्रह्मा का दिन और द्वापरयुग कलयुग है ब्रह्मा की रात ? अब कलयुग अंत में शिव बाबाआये हैं दिन बनाने ? इसीलिये कहते हैं शिवरात्रि ? रात्रि को आकर दिन बनाकर चले जायेंगे अपने परमधाम ?

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27 JAN 2020 AT 17:27

उत्तर - ब्रह्मा ने ब्राह्मण रचे - मुख से नहीं निकलते - मुख वंशावली रचते हैं ,भक्ति वाले समझते हैं मुख से निकलते हैं ,ऐसे कोई निकलता नहीं है ,एक हैं मुख वंशावली (ब्रह्मा द्वारा एडॉप्टेड)- चोटी पर अर्थात सतयुग में जाकर देवता घराने में जन्म लेने वाले - और दूसरे हैं कुख वंशावली (कोख से जन्म लेने वाले) -जिनके सर पर चोटी का यादगार है -

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27 JAN 2020 AT 17:00

शिव बाबा बेहद की रात्रि में आते हैं ,जब चहुँ ओर ज्ञान के नाम पर अज्ञान अंधकार फैला होता है ,यह वही महाभारत लड़ाई है ,शिव बाबा ने रुद्र ज्ञान यज्ञ रचा है ,जन्म जन्मांतर से भक्ति करते करते अज्ञान की घोर रात्रि हो गई थी ,अब ज्ञान का सोझरा होता है ,अंधेरा छंटने लगा है ,कलयुग खत्म होगा ,सतयुग आयेगा ,दैवी स्वराज्य ,युद्ध की तैयारियां चरम पर हैं l

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20 JAN 2020 AT 8:35

*उत्तर:-*_ किसी पर भी बुरी दृष्टि रखना-यह सबसे बड़ा पाप है। तुम पुण्य आत्मा बनने वाले बच्चे किसी पर भी बुरी दृष्टि (विकारी दृष्टि) नहीं रख सकते। जाँच करनी है हम कहाँ तक योग में रहते हैं? कोई पाप तो नहीं करते हैं? ऊंच पद पाना है तो खबरदारी रखो कि ज़रा भी कुदृष्टि न हो। बाप जो श्रीमत देते हैं उस पर पूरा चलते रहो।

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11 JAN 2020 AT 9:29

तुम्हें शास्त्रवादियों से वाद विवाद करने की दरकार नहीं है ,मूल बात है याद की यात्रा और चक्र अर्थात सृष्टि के आदि मध्य अंत को जानना ,आधा कल्प भक्ति चलती है मगर ज्ञान रिंचक मात्र भी नहीं होता ,ज्ञान तब मिलता है जब स्वयं परमात्मा अवतरित होते हैं,इन्हें ही ज्ञान सागर कहा जाता है गीता में इनके लिए ही कहा है मुझे कोटों में कोई और कोई में भी कोई जानते हैं

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8 JAN 2020 AT 4:36

भारत में एक आदि सनातन देवी देवता धर्म था ,अब न तो देवी देवता हैं ,न ही धर्म है ?सिर्फ जड़ चित्र हैं , जिन देवी देवताओं का राज्य था ,वे सब पुनर्जन्म में आकर कलयुगी मनुष्य हैं ,फिर से एक धर्म की स्थापना की सैपलिंग लग रही है ,अनेक धर्मों का विनाश और एक धर्म की स्थापना होती है l

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7 JAN 2020 AT 21:31

भारत में एक आदि सनातन देवी देवता धर्म था ,अब न तो देवी देवता हैं ,न ही धर्म है ?सिर्फ जड़ चित्र हैं , जिन देवी देवताओं का राज्य था ,वे सब पुनर्जन्म में कहाँ होंगे ,विचार तो करो ?

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7 JAN 2020 AT 5:32

एक मित्र की टिप्पणी आई मेरी पोस्ट पर कि आप अन्धविश्वास में जी रहे हो और पागल हो ,तो जरा अपनी मान्यताओं को चैक करें ,आत्मचिंतन करें ,कि अंधविश्वास किसे कहते हैं l ओम शांति

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