मेरे दिल से तेरे दिल तक
आखिर दूरी ही कितनी है?-
मौसम भी दगा दे रहा है
फिदरत उसकी मेरी माशूक सी है..
ना सर्दी ना गर्मी ना बारिश है ये..
उलझने वही मेरे महबूब सी है..-
कभी वजन से कुश्ती..
कब आएगी चुस्ती..
दिखाएंगे तब अपनी फुर्ती..
हिला देंगे सारी धरती..
-
शब्द बोल पाते तो कहते
है उनमे भी बड़ी मिठास
दो प्रेम के बोल
बड़ी गिरह खोल दे
तोड़ दे वो हर बेड़ियाँ
ले आये वो हर लब पर खुशी
शब्द भाषा से परे
नयनों में तरे
अपने स्नेह में ओतप्रोत
जलाते उत्साह की जोत-
दूरियां दिलों की मीलों कब तब्दील नहीं खबर
बड़ी दिल की बेचैनी, अब नहीं सबर
-
बिन बुलाए अगर वो जो आए
तो चूम लू में
जो आँखों की बोली वो बोल जाए
तो झूम लू में
जो पढ़ ले वो बात अनकही
बाहों में घूम लू में
-
अंग भुजंग, आँखें ज्वाला
वो मस्त हाथी बन चला मधुशाला
भौहें ताने और मूंछे तनी हुई
छाती सतपुड़ा के जंगल जैसे बालो
से सनी हुई
ऐसे तो काम से कन्नी काटता निकम्मा
फिर भी चाहे अप्सरा जैसी प्रियतमा
कंठ से फूटे कर्कश ध्वनि के बोल
बजता कैसे फटा पुराना ढोल
-
काजल का टीका बना नज़र बट्टू
आज के दिन बाटे थे पतासे और लड्डू
बजे नगाड़े और ढोल
आया जो था घर का दीपक अनमोल
वो दोपहर की वेला में गूँजी किलकारी
ख़ुशी से फूली नहीं समाई थी अम्मा प्यारी
नन्हे हाथों में थामे माँ का आँचल
और चेहरा अबोध
गर्वित पिता ने लिया फिर था गोद
मूंदड़ा के लाल ने कर दिया कमाल
बचपन के लाला अब बन गए ज्वाला
अधरों पर मुस्कान हाथों से मूंछे तनी
नयनो को ढंके हुई भोये घनी
लिए श्यामवर्ण कोमल मुस्कान
वो जो है दोस्तों की जान-