Rakesh Bhardwaj  
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Joined 20 January 2018


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15 APR 2024 AT 11:48

मेरे मर्ज़ की दवा भी, मर्ज़ ही है !!

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12 MAY 2019 AT 12:17

कैसे ना बैठु उस कश्ती में ,
जिसके माँझी में तुफानो से लड़ने का साहस हो ।।
और
कैसे बैठ जाऊँ उस कश्ती में ,
जिसके माँझी का कुछ अता पता ही ना हो
और यदि पता हो भी तो इतना ,
कि कश्ती के माँझी के दावेदार बहुत हैं
अगर नैय्या किनारे तक पहुँचा भी दिया ,
तो किराया लेने के लिए सारे माँझी तलबगार बहुत हैं ।।

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13 JUN 2019 AT 10:18

जीवन में चाहे कठिनाईयाँ आए
या अँधियारा छा जाए
अँधकार में चलना आना चाहिए
जीवन को जीना चाहिए ।।

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5 JUN 2019 AT 15:02

बिन बताये बिन बुलाए कुछ दिन पहले
एक महमान मेरे घर आया था
जिससे ना कोई रिश्ता
ना कोई पहचान थी ।।

नटखट सा छोटा सा
बिल्ली का बच्चा ,
खेलता कूदता रहता
इधर से उधर आँगन मे,
पेड़ो पर चढ़ने की कोशिश
उसकी सफल हुई ।।

लेकिन कल रात क्या पता क्या हुआ ,
जैसे आया था बिन बुलाए बिन बताए
वैसे ही आज वो चला गया
पर छोड़ गया
अपनी दिवंगत देह ।।

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30 MAY 2019 AT 21:31

जो आग लगी थी सीने में
वो क्यूँ राख होने लगी
जिस चिंगारी ने आग लगाई
क्या वो आग से अलग होने लगी ।।

जिस हवा ने आग को हवा दी
क्या वो हवा अब रूकने लगी
या बदलते मौसम का पानी
आग पर छलकने लगा ।।

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29 MAY 2019 AT 22:25

चींटी निकली थी दाना लेने अब जाना चाहती है
लक्ष्य उसका सटीक था सीधा अपने लक्ष्य की और
मगर बीच में ही अटक गई थोड़ा मुश्किल होगा
जंगल की चकाचोंध में निकलना इस जंगल से
सब तो निकल भी नही पाते
आज अहसास हुआ उसको पर वो कर लेगी
कुछ समय बीतने के बाद क्योंकि सब यह
की फस गयी है वो इस दलदल में निर्णय भी नही कर पाते
जो सबको फसा लेती है पर उसने कर लिया है
अपने ही जाल में जंगल से लड़ने का
बेशक कितना ही बड़ा तैराक क्यूँ ना हो अपनी मंजिल पाने का
अब वो पा लेगी
जिसके लिए निकली थी वो
और फस गयी थी राह में
वही लक्ष्य
वो दाना ।

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29 MAY 2019 AT 10:11

अपने बारे में ओरो से
पूछते हो
क्या हुआ
आईना अपने घर का
कही छोड़ आए क्या ।।

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28 MAY 2019 AT 22:18

फूल मुरझा जाता है खड़ा रहता है
पेड़ से अलग होने के बाद । डटा रहता है
गवाकर अपने हिस्से को काम अपना करता रहता है
पेड़ तनहा नही लगता बिना किसी से कहे
डटा रहता है अपना दर्द ,
डगमगाता नही है ।1। राज बनाकर
दबा देता होगा
याद तो उसको भी आती ही होगी क़ब्र बना उसकी
साथ छोड़ गए फूलो की सीने में ।3।
लेकिन
वो सजा नही देता
ना ही बाकी फूलो को
या लग रहे फलों को
या तने और टहनियों को
या नई खिल रही कलियों को ।2।

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27 MAY 2019 AT 13:33

आए थे कुछ लोग ,
हवाला लेके बाल मज़दूरी का
एक चाय की टपरी पर
जहा छोटू काम किया करता था
जो कहने को छोटू
मगर घर का सबसे बड़ा था ।

सुन कहानी छोटू की
देख दशा उसके घर की
वे लोग
लौट गए सिख कर ,
ज्ञान बाल मजबूरी का ।।

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25 MAY 2019 AT 23:40

देख सब कुछ रहा हूँ ,
ये ना समझना मुझे दिखता नही है।
सुन सब कुछ रहा हूँ,
ये ना समझना मुझे सुनता नही है ।।

चुप हूँ मैं ,
ये ना समझना की बोल सकता नही हूँ ।
अभी थोड़ा शांत हूँ
ये न समझना कुछ जानता नही हूँ ।।

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