Raju Kumar Jha   (राजू कुमार झा)
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Joined 28 June 2018


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Joined 28 June 2018
15 MAR AT 2:52

रास अब आने लगा मुझको ये अंधेरा,
उजालों में मुझे अपनों के चेहरे साफ दिखते हैं...

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6 MAR AT 20:22

बस इसी कश्मकश में रात भर जागा रहा मैं,
उसे अब भूलना तो था, पर तड़पना नहीं था...

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10 JAN AT 15:19

तादात गिरगिटों की कम होने लगी तो,
सुना है आदमी अब शक़्ल बदलने लगा है...

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26 DEC 2023 AT 18:41

दुनिया जैसे कोई माया का जाल है,
जैसा था कल मेरा, वैसा ही हाल है।

दिन वही रहते हैं, बीत जाता हूँ मैं,
लोग कहते हैं, देखो नया साल है...

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15 NOV 2023 AT 22:33

जला कर सैकड़ों दीपक, किये जगमग जहां को हम,
मगर मन के अंधेरे को भला कैसे मिटाएं।
कभी जो काँच सा सपना कोई हमने सजाया था,
अब किस्सा टूट जाने का कहो किसको सुनाएं।

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12 SEP 2023 AT 16:52

किसी को वक़्त दो उतना ही, जितना मिल सके तुमको,
मुफ्त में दे दिए ज़्यादा, तो तुम सस्ते लगोगे...

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15 JUL 2023 AT 8:39

गणित कमजोर हो तो रिश्ते भी अब टिकते नहीं ज्यादा,
लोग अब हाथ भी मिलाते हैं हिसाब लगा कर...

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18 MAY 2023 AT 9:44

तुम्हारे नाम से छेड़े है ज़माना मुझको,
आते-जाते पुकारता है दीवाना मुझको।
तू मेरी याद में हर रोज चली आती है,
मैं कभी ख़्वाब में आऊँ तो बताना मुझको।

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30 APR 2023 AT 18:15

मोहब्बत की किताब के सारे पन्ने पलट दिए,
काश कुछ अक्षर फरेब का भी पढ़ लेता...

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17 APR 2023 AT 22:51

दूं मैं आवाज या जाने दूँ बस यूँ ही?
रोकता मैं मगर उसपे हक भी नहीं।

सबका अपना जहां, सबको अपनी पड़ी,
दोस्त किसको कहें कुछ ख़बर ही नहीं।

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