उसने पूछा कि ज़िंदगी क्या है
मैंने कहा तुम मेरे साथ हो यही ज़िंदगी है!
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"हिंदी साहित्य प्रेमी"
निवासी/जन्मभूमि:- जयपुर(राजस्थान)
शिक्षा:- एम.ए. हिंद... read more
ये जो मुस्कातें हुए चेहरों का साथ है ना
रिश्तें महक उठते जरूर कोई बात है ना!
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कुछ रंजो की गहमागहमी और कुछ दर्द है साथ भी
ठंड़क सी कर ले 'ज़िंदगी' हो गई मॉनसून की शुरुआत भी !-
इक दफ़ा हमनें ज़िंदगी से मज़ाक करने को कहा
पर ये क्या ज़िंदगी ने तो ज़िंदगी ही मज़ाक बना दी !-
ये बरसात भी कुछ इस क़दर बरस पड़ी है
मानो अनायास ही अश्रु छलकने को अड़ी है !-
पिता एक सच्चा मित्र मार्गदर्शक होता है
कैसे भी बन पड़े हालात कहाँ वो रोता है
परिवार जन जब सोते है बड़े सुकून से
कल की फ़िक्र में वो चैन से कहाँ सोता है
अभाव के समय वो सदा ही देता है खुशियाँ
वो अश्रुओं से अपनी आँखों को कहाँ भिगोता है
क्रोधित हो पीटे या लाख फ़टकार ही लगाए
एक पिता का हृदय सदा पितृत्व लिए ही होता है !
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जिन दर्द-ए-ग़मों से कभी न पड़ना था वास्ता
वाह रे ज़िंदगी कर भी दिया अख़्तियार वो रास्ता !-
बशर तुम किससे कहोगे अपनी कथा
मालूम हो क़े हर हृदय की होती है अपनी व्यथा !-
हमकों भी ज़िंदगी से फ़क़त इक सवाल रहेगा
दिल ही को वो समझ ना सकें यही मलाल रहेगा !-