Raju Kumar   (✍️ राजू कुमार)
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Joined 9 August 2020


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6 AUG 2023 AT 23:00

ऐ ज़िंदगी नहीं तुझसे कोई गिला
ख़ुशनसीब हूँ सुदामा सा रफ़ीक है मिला!

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27 JUN 2023 AT 14:58

कुछ रंजो की गहमागहमी और कुछ दर्द है साथ भी
ठंड़क सी कर ले 'ज़िंदगी' हो गई मॉनसून की शुरुआत भी !

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20 JUN 2023 AT 1:41

इक दफ़ा हमनें ज़िंदगी से मज़ाक करने को कहा
पर ये क्या ज़िंदगी ने तो ज़िंदगी ही मज़ाक बना दी !

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18 JUN 2023 AT 17:27

ये बरसात भी कुछ इस क़दर बरस पड़ी है
मानो अनायास ही अश्रु छलकने को अड़ी है !

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18 JUN 2023 AT 15:06

पिता एक सच्चा मित्र मार्गदर्शक होता है
कैसे भी बन पड़े हालात कहाँ वो रोता है

परिवार जन जब सोते है बड़े सुकून से
कल की फ़िक्र में वो चैन से कहाँ सोता है

अभाव के समय वो सदा ही देता है खुशियाँ
वो अश्रुओं से अपनी आँखों को कहाँ भिगोता है

क्रोधित हो पीटे या लाख फ़टकार ही लगाए
एक पिता का हृदय सदा पितृत्व लिए ही होता है !

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2 JUN 2023 AT 23:32

जिन दर्द-ए-ग़मों से कभी न पड़ना था वास्ता
वाह रे ज़िंदगी कर भी दिया अख़्तियार वो रास्ता !

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28 MAY 2023 AT 21:27

बशर तुम किससे कहोगे अपनी कथा
मालूम हो क़े हर हृदय की होती है अपनी व्यथा !

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28 MAY 2023 AT 13:46

हमकों भी ज़िंदगी से फ़क़त इक सवाल रहेगा
दिल ही को वो समझ ना सकें यही मलाल रहेगा !

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23 MAY 2023 AT 16:56

वो वादें कुछ ऐसे हो गए है
जैसे क्षणभर पानी का बुलबुला होता है
वो ज़ुबान ऐसी हो गई है
जैसे कोई झूठ का पुलिंदा हुआ करता है
वो चेहरें कुछ ऐसे हो गए है
जैसे किसी नाटक में मुखोटें तमाम होते है!
.......

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14 MAY 2023 AT 17:01

"माँ" पर जब लिखने लगता हूँ कोई कविता
यूँ अश्रु मेरे गिर पड़ते है आहिस्ता- आहिस्ता!

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