Rajshree Dhariwal  
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Joined 22 September 2018


Joined 22 September 2018
10 DEC 2022 AT 23:55

मेरी ज़िंदगी का हसीन हिस्सा बनोगे?
मेरे किताब में रखा एक फूल बनोगे?
कुछ पन्नों का सही,
कुछ लम्हो का सही,
मेरी तस्सवूर का एक हसीन ख़्वाब बनोगे?

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16 NOV 2022 AT 21:17

जो देखती हूँ तुम्हें,
मैं एक नज़र भर कर,
तो अक़्सर सोचती हूँ,
ये शक़्ल भले हो अनजानी ,
पर क्या मैं इस रूह को जानती हूँ?

होती हैं कभी ये ख्वाईश भी,
के तुमको मैं कुछ पढ़ लुँ।
और फिर दिल ये कहता हैं,
के तुम्हें इसरार ही रहने दूँ।
जो देखु तुम्हें नज़र भर कर,
तो मैं ये अक़्सर सोचती हूँ,
क्या मैं इस रूह को जानती हूँ?

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10 NOV 2021 AT 22:52

न जाने कौनसी ख्वाइश अधूरी है ,
जो ये चाँद रोज़ चला आता ।
न जाने किस हसरत में ,
यह अधूरा ही रह जाता है ।
ना ही हवाओं से गुफ़्तगू है ,
न सितारों से कुछ कहता है ,
न जाने किसकी बाट में ,
यूँ ही गुम हो जाता है ।

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5 OCT 2021 AT 22:58

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8 JUL 2021 AT 20:01

कुछ तोल लूँ मैं,
कुछ तुम न गिनना ।
दिन की गिनतियों में,
मैं साँस भुल जाऊँगा।
और तुम कुछ पल हार लेना ।
थोड़ा सा अदा करूँ मैं ,
थोड़ा भुगतान तुम करना ।

शाख़ें मेरी तुम छूना,
तेरी टहनियाँ मैं न देखु ।
कुछ फूल तुम्हारे होंगे ,
कुछ ख़ुशबू मैं लाऊँगा।
जो मेहेकेगी गालियाँ तो,
थोड़ा मुस्कुराउंगा मैं ,
कुछ तुम भी हँस लेना।

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18 JUN 2021 AT 19:04

तुम कुछ कदम चलना तो सीखो ,
अंजाम का कोई पता नहीं ,
लेकिन तुम आगाज़ तो करो ।
सफरनामे लिखने की ख़्वाइश
तो हर कोई करता है ।
तुम सफ़र पर चलने की ,
थोड़ी हिम्मत तो रखो ।

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1 APR 2021 AT 14:49

People aren't hurt by the fact that they were tricked by you .
They are hurt because they were foolish enough to have faith in you.

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27 MAR 2021 AT 0:01

ये दिन तो चला जाता है ,
लेकिन रात अकेली सोती है ।
किसी याद के सायें में , रे मनवा,
अंगड़ाई कही खोती है ।

न तस्सवूर का आलम है ,
न तस्वीरों से दोस्ती है ।
हम तो खुश है लेकिन ,
ये दिल भी हमारा बाघी है ।


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26 MAR 2021 AT 20:15

What do you do when someone slips away from your life slowly?

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26 FEB 2021 AT 20:01

And watch that anger walk away like a simple man who has no power over you

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