ਕੀ ਲਭਦਾ ਏ ਵਿਕਰਮ ਖਿਆਲ ਦੇ ਵਿੱਚ,
ਕੁਝ ਨਹੀਂ ਮਿਲਣਾ ਭਾਲ ਦੇ ਵਿੱਚ..
ਅੱਖਾਂ ਦੇ ਵਿੱਚ ਕੈਦ ਹੋਇਆ ਹਾਂ,
ਪਿਰੋ ਹੋ ਗਿਆ ਹਾਂ ਹੰਜੂਆਂ ਦੇ ਜਾਲ ਦੇ ਵਿੱਚ..
ਗਰਮੀ ਦੇ ਵਿਚ ਮੈਂ ਸੀਤ ਹੋ ਜਾਵਾਂ,
ਤਪਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹਾਂ ਮੈਂ ਸਿਆਲ ਦੇ ਵਿੱਚ..
ਹਾਲਾਤਾਂ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਹਸਣਾ ਸਿਖਾ ਦਿੱਤਾ ਏ,
ਚੰਗੇ ਮੰਦੇ ਹਾਲ ਦੇ ਵਿੱਚ..
ਬਹੁਤ ਵਾਰ ਖੁਦ ਨੂੰ ਖੋਇਆ ਮੈਂ,
ਲੋਕਾਂ ਤੇ ਆਪਣਿਆਂ ਦੀ ਚਾਲ ਦੇ ਵਿੱਚ..
ਮੈਂ ਤਾਂ ਉਸ ਖੁਦਾਈ ਨੂੰ ਵੀ ਵਿਕਦੇ ਵੇਖਿਆ ਹੈ,
ਲੋਕ ਐਵੇਂ ਸਿਫ਼ਤਾਂ ਕਰਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਮਿਸਾਲ ਦੇ ਵਿੱਚ..-
अगर कर ही लिया है बिछड़ने का इरादा,
तो फिर घबराना कैसा,
यह ग़मों को मनाना कैसा..
अगर रज़ा है तुम्हारी तो खत्म करें अब यह कहानी,
आँखों में अश्क लेकर आना कैसा..
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वो मुझसे लिपट कर किसी गैर के लिए रोती रही मैं देखता रहा,
साथ मेरे बैठ कर किसी और के ख़्यालों में खोती रही मैं देखता रहा,
गैर-मौजूदगी में मेरे होता यह सभ तो कुछ और बात थी,
वो मेरे सामने किसी और की होती रही और मैं देखता रहा..
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अब दिल महफ़िलों से डरने लग गया है,
आँखें किसी और से मिलने से पहले ही पीछे हटती हैँ,
ख़ुदा तुझे भी एक दिन ऐसा दिखाए,
क्यों कि तुझे भी तो पता चले कि भीगे हुए तकिए पर रात कैसे कटती है..
कैसे छुप छुप कर रोया जाता है,
कैसे पलकों के साथ साथ हाथों को भी भिगोया जाता है..
तुझे इतना प्यार करने के बावजूद भी तुझे तड़पाने के बारे में सोच कर आँखें भर तो आती हैँ,
मैं भी क्या करूँ,
जहाँ इतना प्यार होता है वहाँ नफ़रत भी हो जाती है..
अब सब कुछ ठीक है मगर तेरा वापिस आना बेफज़ूल है,
तू मोहब्बत थी मेरी तेरा हर गम भी कबूल है..
हर रोज़ काटों सी जिंदगी जीएगी तू,
ज़हर का घूंट पीएगी तू..
तड़प उठेगी मेरी एक झलक को भी,
बिन पलक झपकाए सोएगी तू..
तुझसे नफ़रत करने वालों में से भी चुनिंदा हूँ मैं,
यह दिल की बात लिख कर पहुँचाने वाला परिंदा हूँ मैं,
तू खुश है तो खुश रह,
बस इतना समझ लेना तेरे बगैर भी ठीक हूँ खुश हूं और जिंदा हूँ मैं...
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प्यार में साँस भी नसीब ना हो,
ऐ ख़ुदा कोई इतना भी करीब ना हो..-
किसी के दिल से भुलाए गए हो,
या फिर किसी से सताए गए हो..
कभी हसते भी नहीं क्या बात है,
क्या बहुत ज्यादा रुलाए गए हो..-
बिन देखे तुमको मुरझा जाता हूँ,
तुम्हें देख कर खिलता हूँ,
हर बार ऐसे गले लगाता हूँ,
जैसे सालों बाद मिलता हूँ..-
मनहूस यह चेहरा हमारा ना देखना,
सुनो अब पलट कर दुबारा ना देखना..
अब ना करना इतना रहम किसी पर,
अब किसी शख्स में बेचारा ना देखना..-
तीखी बातों से ज़ख़्म भरे तो नहीं हैं,
काँटे ही आए हैं हिस्से डरे तो नहीं हैं..
क्या हुआ अगर ठुकरा दिया गया हमें,
किस्मत से हारे हैं मरे तो नहीं हैं..
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बता देना सभी को कि मैं मतलबी बड़ा था,
हर बड़े मुकाम पे तन्हा ही खड़ा था..
पहले दिल था मगर अब खामोशी का आलम है,
इस सीने में एक पत्थर सा जड़ा था..-