निगाहें मिली तुमसे ,तो दिल को करार आया
मुरझाए हुए गुलशन में ,कोई फूल मुस्कराया
हम भूल गए थे मौसम भी,होता है बहार का
देखा जब तुम्हें तो लगा, कोई त्यौहार आया
एक नजर देखने को ,ये आंखे तरस गई थी
जीवन का ये लम्हा ,बड़ी मुद्दत के बाद आया
दिल की राहों से गुजरते हुए, तुम्हें देखा करते थे
आज फिर से अतीत ने, ख़ुद को है दोहराया
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बीता हुआ बचपन यादों में सिमट जाता है
उम्र का बोझ लादे हम... read more
उम्मीद के आसमां में कभी आस का सूरज न डूबने पाए
निराशा की बदली छाए भी तो कुछ देर में दूर निकल जाए
अंधेरे को कभी दिल के उपवन में मेहमान न बनने देना
जिंदगी की शमां कभी निराशा की आंधी से न बुझने पाए
जब तक सांस है सपनों की बगिया को हरा भरा रखना
न जाने कौनसी घड़ी खुशियों की सौगात लिए चली आए
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अब भी मुझे सताती हैं
चुपके से हर शाम मेरे
दिल में चली आती हैं
खोजने लगता हूँ तुम्हें
तो परछाईं नजर आती है
बात करता हूँ उससे तो
वो दूर निकल जाती है
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तन मन को कर रही बेचैन
पसीने से लथपथ है काया
मिलता न पल भर को चैन
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शायद वक्त ही नहीं मिला कभी
दूसरों को देखने में निकल गई उम्र
सिलसिला ये फिर कभी थमा नहीं
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हर हाल में सफर ये तय करना होगा
राह कैसी भी मिले आगे बढ़ना होगा
रुक जाने से उलझनें कम नहीं होंगी
अतीत को भूल आगे निकलना होगा-
रात अभी अभी तो जवान हुई है
उसे अपने यौवन की पहचान हुई है
खुमार जवानी का उसमें अभी चढ़ा है
उमंग से सराबोर आगे कदम बढ़ा है
महसूस की है उसने चांद की रोशनी
तारों की महफिल में हलचल नई
बढ़ रही है आगे मुस्कराते राह में
कोई तो पुकारेगा उसे चाह में
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इंसान के अंदर उसका अहम है
कितनी भी कर लो कोशिश
मगर दिल से जाता न ये वहम है-
वरना अकेले पड़ जाएंगे
कोई न आपके साथ होगा
सब छोड़ कर चले जाएंगे
अपने अंतर्मन में झांकिए
मन के अंधेरे मिट जाएंगे
दूर हो गए हैं जो अपने
वो नजदीक चले आएंगे
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ओ गर्मी अब तू ज्यादा देर तक टिक नहीं पाएगी
बारिश दुश्मन बनकर तुझे दूर भगाने शीघ्र आएगी
कर ले तू जितने सितम कुछ दिन और जी भर के
मानसून की तेज हवाओं से तू डर कर भाग जाएगी-