ये नजरें खोजती तुमको ,कहाँ हो तुम चले आओ
देखने को तरसते नैन ,इन्हें अब और न तरसाओ
तुम्हे खोकर जिंदगी भर का हमने दर्द पाया है
हर तरफ छाई खामोशी, मन को कुछ न भाया है
आंखों से उड़ गई है नींद, नीर इनसे बरसता है
जीवन हो गया नीरस, मन को कुछ न जंचता है
तुम्हारे साथ गुजारे पल, रात दिन याद आते हैं
तुमसे मिलने को आतुर हम खुद को भूल जाते हैं-
20 APR 2020 AT 13:51