24 APR 2020 AT 11:45

ये मजदूर आज कितने बेबस नजर आ रहे
छोड़ कर शहर अपने गाँव पैदल ही जा रहे
इनके हाल पर कोई न अब तरस खा रहा
अपनी हिम्मत से भूखे प्यासे बढ़े जा रहे
जाने कैसा ये दौर जमाने में आ गया
लोग एक दूसरे से मिलने से घबरा रहे
मौत हर जगह दामन फैलाती जा रही
जिंदगी बचाने को लोग खुद को छुपा रहे
गरीब बेचैन है कुछ समझ नहीं पा रहा
अमीरों की करतूत का फल भुगते जा रहे
कौन किसकी पीड़ा को समझेगा यहाँ पर
लोग डर डर के जिंदगी को बस जिए जा रहे

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