15 JUN 2020 AT 17:20

ये दौलत और शोहरत सब एक तरफ धरी रह जाती है
जब इंसान के अंदर जीने की चाह खत्म हो जाती है
सब कुछ पाकर इंसान जब पहुँच जाता है शिखर पर
उसके अंदर से ख्वाहिशों की कमी सी हो जाती है

ऊब जाता है वह तन्हा रहकर अपनी इस जिंदगी से
तभी वह जिंदगी को अलविदा कहने का मन बनाता है
शिखर पर पहुँचना आसान नहीं होता यूँ सबके लिए
जो पहुँचता है उसके लिए ठहरना कठिन हो जाता है

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