तुम्हारे गर्म हाथ का स्पर्श मेरे दिल को छू गया था
मेरे सपनों को लगे पंख तो मैं उड़ने लग गया था
ख्यालों में खोया मैं कई रातों को सो न पाया था
बड़ी मुश्किल से मेरे अंदर का वहम भाग पाया था
जिसे समझा था मैंने प्रेम वो एक महीन धागा था
वो टूट गया उस दिन जब तुम्हारा अहम जागा था
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