तुम न होते तो ये जिंदगी यूँ ही गुजर जाती
जीवन की ये नाव जाने कहाँ भटक जाती
संवारा न होता तुमने जीवन के रेगिस्तान को
जिंदगी रेत के टीले सी ठहर कर रह जाती
भटकते रहते हम मरुभूमि में यहाँ वहाँ
सुकून की तलाश में सारी उम्र निकल जाती
हरियाली बन के जीवन को तुमने है सजाया
वरना ये जिंदगी कांटों में उलझ के रह जाती
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