तुम ही बताओ किस बात की दे रहे हो मुझको सजा
इतना ही बता दो मुझे आखिर क्या है तुम्हारी रजा
हम चाहते हैं होना रुबरु तो अपना मुंह फेर लेते हो
इस तरह तड़पाने में हमे आता है क्या तुमको मजा
अहसास तो करते कभी दिल पर लगी चोट का
रखते न फिर शायद कभी तुम हमसे इतना फासला
मुनासिब समझो तो कभी इतना इकरार कर लेना
दिल लगाने की तुमने हमे दी है अब तक सजा
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7 AUG 2020 AT 16:57