तेरे साथ बीती हुई यादों ने
खामोशी घेर लेती है मुझको
जब खो जाता हूँ खयालों में
कुछ समझ में नहीं आता मुझे
आखिर किसलिए जी रहा हूँ
मकसद क्या है इस जीवन का
क्यों इस बोझ को ढो रहा हूँ
तन्हाइयों का ये सफर करते
अब थकान सी लगने लगी है
मनहूस जीवन की गलियों से
अब उलझन बढ़ने लगी है
मन का पंछी चाहता है आराम
बहुत उड़ चुका चाहिए विश्राम
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