सोचा तो था कि हम भी कभी ऊंचे मुकाम पर पहुँच जाएंगे
मालूम न था कि करीब पहुँच कर हमारे कदम लड़खड़ांएगे
बिखर कर टूटेंगे सारे सपने हमे अहसास तक न होगा
समझा था जो देंगे सहारा वही हमें छोड़ कर निकल जाएंगे
शिकवा किसी से अब क्या करें जो होना था वो हो गया
करेंगे अब कोशिश कि कदम जरा भी नहीं डगमगाएंगे
गिरे हैं इतनी बार कि चोट खाकर भी सीख लिया मुस्कराना
उम्मीद है कि हम भी कभी अपने मकसद मे कामयाब हो जाएंगे-
25 MAY 2020 AT 14:45