2 JAN 2021 AT 21:08

साल दर साल उम्र गुजरती जा रही
जिंदगी अपने सफर पर बढ़ी जा रही|
सांसो का खजाना नित हो रहा खाली
चेहरे पर पड़ी झुर्रियाँ दे रही गवाही|
ख्वाब और ख्वाहिशें छूट गए पीछे
मन से उम्मीदों की लौ बुझी जा रही|
बचपन से जवानी तक सजाते रहे ख्वाब
अधूरे ख्वाबों की राख भी नजर न आ रही|
थकान के कारण कदम भी देते नहीं साथ
भावनाओं की गति भी अब थमती जा रही|
जाने कहाँ गए वो लोग, जो चले थे साथ
उनके कदमों की आहट भी अब न आ रही|
बीत रहा सफर अब, सुकून की तलाश में
आंखों में डूबते सूरज की, तस्वीर छा रही|


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