सागर की उफनती लहरों सा दिल ये मचलता रहता है
कितना भी इसको समझाएं फिर भी उछलता रहता है
तुमसे न कहें तो किससे कहें ये बात कब तक छुपाए रखें
उठती है तड़प जब सीने में ये दिल क्यों उफनता रहता है
हम तुमको पुकारा करते हैं कभी आओ हमारे ख्वाबों में
यादों में तुम्हारी खोया हुआ ये बस आहें भरता रहता है
दरिया की तरह चलता रहता रुककर आराम न भाता इसे
अतीत के लम्हों में अब भी यह आए दिन उलझा रहता है-
14 JUN 2020 AT 11:25