रेत की तरह बिखरी हुई नजर आती है जिंदगीअनजान राहों से चुपचाप गुजर जाती है जिंदगीन जाने कौनसी आंधी कब आए और बिखरा देनित नई उलझन से लड़ते चलती जाती है जिंदगीकभी ऊंचे कभी नीचे हर पड़ाव से भटकना होताहर एक पड़ाव से होकर मंजिल को ले जाती जिंदगी -
रेत की तरह बिखरी हुई नजर आती है जिंदगीअनजान राहों से चुपचाप गुजर जाती है जिंदगीन जाने कौनसी आंधी कब आए और बिखरा देनित नई उलझन से लड़ते चलती जाती है जिंदगीकभी ऊंचे कभी नीचे हर पड़ाव से भटकना होताहर एक पड़ाव से होकर मंजिल को ले जाती जिंदगी
-