रेत की तरह बिखरी हुई नजर आती है जिंदगी
अनजान राहों से चुपचाप गुजर जाती है जिंदगी
न जाने कौनसी आंधी कब आए और बिखरा दे
नित नई उलझन से लड़ते चलती जाती है जिंदगी
कभी ऊंचे कभी नीचे हर पड़ाव से भटकना होता
हर एक पड़ाव से होकर मंजिल को ले जाती जिंदगी-
12 APR 2021 AT 15:16