20 APR 2020 AT 22:12

रात चुपके से चली आती है अपनी आगोश में लेने को
हम बेसब्री से इंतजार करते हैं उसकी गोद में सोने को
मधुर हसीन ख्वाब के आंगन में वह ले जाती है आहिस्ता
दिन भर की थकान और उलझनों को दूर ले जाने को

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