परिंदो को देख उड़ते ये दिल मचलने लगता है
धरा को छोड़ गगन में विचरण करने लगता है
पंछी की तरह हम भी अगर आकाश में उड़ पाते
जमाने की उलझनों से कुछ पल की निजात पाते
न होती चिंता किसी की दिल अपना बेफिक्र होता
नीलगगन में नित नई ऊंचाइयां छूने में मशगूल होता
बंदिशे न होती किसी सरहद की हर कहीं चले जाते
कोई बंधन और रोकटोक न होती खुशी से जी पाते-
25 APR 2020 AT 12:26