परिंदे सोचते हैं ये कैसा दौर आ गया
धरा का स्वामी इंसान कहाँ भाग गया
छुप छुप के रहता कहीं नजर न आता
धरती का श्रेष्ठ प्राणी खुद से हार गया
जल थल नभ में लहराता था जो परचम
आज अपने वजूद को बचाने में लग गया
मानी न जिसने हार और सदा अजेय रहा
उसी को एक जीवाणु पराजित कर गया
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25 APR 2020 AT 21:11