पापा तुम जब तक साथ थे खुशियों की कोई कमी न थी
हम हर हाल में जी लेते थे आंखों में कभी नमी तो न थी
जब तक तुम्हारा हाथ था सिर पर मैं सदा बेफिक्र रहता था
जिंदगी के आंधी और तूफान को हंसते हुए झेल सकता था
तुम क्या गए मेरे अंदर से वो जज्बा न जाने कहाँ छूट गया
खुशियों के साथ मेरा रिश्ता भी तभी से बुरी तरह टूट गया
तुम्हारी कमी जीवन में हर पल मुझे महसूस हुआ करती है
सच है कि माता पिता के साए में ही जिंदगी महफूज होती है-
22 JUN 2020 AT 14:31