पानी की चंद बूदें जो जुल्फों से गिर रही हैं
जुगनू सी चमक कर ये मोती में ढल रही हैं
न झटको इन बून्दो को रहने तो दो जुल्फों पर
रोशनी मेरे दिल के अंधेरे में ये कर रही हैं
छिपाया है तुमने चेहरे को जिस तरह जुल्फों से
बादलों में छिपे चांद की तस्वीर उभर रही है
कुछ लम्हो तक जुल्फों को तुम यूँ ही रहने देना
देखने को नजारा ये मेरी तबियत मचल रही है
कयामत भी अगर आए तो कुबूल है आज मुझको
जलवों को देख धड़कन मेरे दिल की बढ़ रही है
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29 FEB 2020 AT 16:31