ओ रात के मुसाफिर तू तन्हा सफर करता है
सब चैन से सोते हैं तू इधर उधर फिरता है
दिल की बात न कहता तू मौन बना रहता है
जरा आराम न करता बस सफर में ही रहता है
हर अदा है तेरी मोहक, मन मोह लिया करता है
शीतल किरणों के बाहुपाश में सबको लिया करता है-
9 MAR 2021 AT 15:36