नजरें उठा के जो देखते थे कभी जी भर केवो अब नजरें झुकाए चुपचाप निकल जाते हैं -
नजरें उठा के जो देखते थे कभी जी भर केवो अब नजरें झुकाए चुपचाप निकल जाते हैं
-