निकले हैं हम सफर में खोजने को वो खुदा
जिसने बनाई दुनिया और हो गया जुदा
कोई तो बताए वो चल दिया कहाँ
किसके भरोसे वो छोड़कर गया जहाँ
इंसान इबादत में है उसकी लगा हुआ
वो चुपचाप जाने किस जगह है छुपा हुआ
कहता है न करता है वो कभी कोई इशारा
फिर भी उसे पाने को बेचैन है जग सारा
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16 NOV 2019 AT 14:27