मन में कौतूहल जगाता है
कहाँ जाना कैसे जाना
समझ न कोई पाता है
राह जीवन की है कुछ ऐसी
बस चलते पथ पर जाना है
किसी को भी नहीं मालूम
मंजिल का कहां ठिकाना है
हर तरफ छाए है बादल
अंधेरे में खोजते राह जाना है
कोई जुगनू अगर मिल जाए
मन का उत्साह बढ़ जाना है
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1 MAR 2020 AT 17:48