कल तक जहाँ चमन था आज वीरानी छाई है
हर समय रहता था शोर आज पसरी तन्हाई है
आपस के बैर ने मानवता को शर्मसार कर दिया
हर किसी के दिल में कड़वाहट उभर आई है
मंजर बदल गया है मेरे शहर का इस तरह से
लोगों ने मरने मारने की जबसे कसम खाई है
आगजनी और मारकाट से देश का भला न होगा
उसे कौन समझाए जिसने नफरत की आग लगाई है
तोड़ो मन के बंधन देश को पीछे न धकेलो यारो
इस देश को बनाने में वीरों ने जान गंवाई है
-
28 FEB 2020 AT 15:34