7 OCT 2020 AT 11:06

कई बार ये जिंदगी मुझे ठहरी सी लगती है
एक ही मुकाम पर पसरी सी लगती है
लगता है सब अपनी जगह रूका हुआ सा
सांसो की आवाजाही भी थमी हुई लगती है
उम्मीद नहीं कोई इस फिजा के बदल जाने की
अब तो मुझे हवा भी थकी हुई सी लगती है
बुझे बुझे से सहमे लोग हर ओर नजर आते हैं
अब जिंदगी मौत के हाथों बिकी हुई लगती है
चरागों ने कोशिश बहुत की हवाओं से लड़ने की
लेकिन अब इनकी हिम्मत भी टूटती सी लगती है
चर्चा है हर तरफ उसके जिंदगी से रुठ जाने की
मुझे तो ये खामोशी से दिल्लगी सी लगती है
मुखौटे लगाए हर कहीं इंसान दिखाई देने लगा अब
सच को छुपाने की मुझे नई होड़ सी लगती है

-