ख्वाहिशें न होती तो जिंदगी कैसे गुजर पाती
इंसान की हालत जानवरों की तरह हो जाती
बेवजह यहाँ वहाँ भटकते कहीं भी चले जाते
न जाने कहाँ सुबह होती और शाम आ जाती
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27 MAR 2021 AT 21:12
ख्वाहिशें न होती तो जिंदगी कैसे गुजर पाती
इंसान की हालत जानवरों की तरह हो जाती
बेवजह यहाँ वहाँ भटकते कहीं भी चले जाते
न जाने कहाँ सुबह होती और शाम आ जाती
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