31 AUG 2020 AT 21:28

कहो तो लिख दूँ तुम पर कविता
उर से विचारों की निकली है सरिता
तुम कहो तो दिल के तार जोड़ दें
हवाओं के रुख तुम्हारी ओर मोड़ दें
जमाने गुजर गए तुम पर लिखे हुए
दिल के वीराने में फूलों को खिले हुए
तुम कहो न इस तरह खामोश क्यों हो
जब से मिले हो इतने बुझे हुए क्यों हो
वक्त का दरिया कुछ देर में चला जाएगा
तुम न कहोगे तो हमसे भी न कहा जाएगा
आओ एक दूसरे को करीब से देखते हैं
तुम न समझ न सके तो हम ही समझते हैं

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