9 OCT 2020 AT 14:29

कब तक यूँ दौड़ते भागते रहोगे
पैसों के पीछे ऐसे ही नाचते रहोगे
सांसो का खजाना हो रहा खाली
कब तक नासमझ बनके जीते रहोगे
हर लम्हा जिंदगी कम होती जा रही
कब तक खुद को अंधेरे में रखोगे
हंसी और खुशी को बुलाओ करीब
आखिर जीना कब शुरू करोगे

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