कब कैसे और किधर जाएं
हर ओर नजर आ रहा धुंआ
कदम अपने किस ओर बढ़ाएं
मन चाहे कोई साथ चले
कुछ तो सफर ये कट जाए
जीवन की अंधेरी रातों में
कोई साथ हमारे क्यों आए
दिखती न उजाले की किरणें
फिर क्यों यूँ ही भटका जाए
चलो चलें ऐ मन के पंछी
उड़ कर दूर चला जाए-
27 JUL 2020 AT 15:12