जख्म सिलते नहीं लाख कोशिश करो
दर्द मिटता नहीं कितनी मालिश करो
अंदर ही अंदर चुभन और बढ़ती जाती
मरहम लगाने की जितनी कोशिश करो
दिल के तार एक बार जब जाए जो टूट
फिर न जुड़ते ये जितनी भी कोशिश करो
अपनो का दिया जख्म बन जाता नासूर
जिंदगी भर इसके भरने की न ख्वाहिश रखो
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3 MAR 2020 AT 22:11