जिस रास्ते मंजिल मिले वह रास्ता नजर आता नहीं
जितना चल सकते थे चले अब और चला जाता नहीं
जबसे चले हैं हम सफर पर अब तक भटकते ही रहे
जिस राह को चुना हमने वह मंजिल तक पहुंचा नहीं
जिस मार्ग पर मिलती हो खुशियाँ उसकी मुझे तलाश है
गम के बिना खुशियाँ मिले वह रास्ता नजर आता नहीं
खुशियाँ अगर मिलती जहाँ में हर किसी को हर मोड़ पर
जिंदगी में हर आदमी फिर बेवजह ठोकर खाता नहीं
अपनी आशा के दिये जलाए हम अब तक चलते रहे
आंधी और हवाओं से दिया सदा खुद को बचा पाता नहीं
जिंदगी का यह सफर चलता है अकेला हर कोई जहाँ में
कोई किसी को साथ लेकर मंजिल तक पहुंचाता नहीं
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28 MAR 2020 AT 17:22