9 OCT 2020 AT 17:41

जिंदगी यूँ गुजर गई ,अहसास भी न हो पाया
हम जूझते रहे उम्र भर , कुछ समझ नहीं आया
आभास भी न हुआ और शाम होने को आई
तलाश में रहे कुछ पाने की, हाथ में कुछ न आया
बचपन की यादें अब भी मन को सुकून देती हैं
खुशियों का वो दौर फिर लौट कर नहीं आया
उम्मीद का दामन पकड़े कदम रखा जवानी में
वो जाने कब निकल गई महसूस तक न हो पाया
अधूरी ख्वाहिशो का बोझ लादे अब जाएं भी कहां
जो मिला जैसा मिला उसी से मन को बहलाया

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