29 APR 2020 AT 14:34

जिंदगी तू ही बता यह हालात कब बदलेंगे
कब हम खुली हवा में बेखौफ विचरण करेंगे

कब हटेगा हमारे दिलों से डर का यह अंधकार
कब लौटेगी जिंदगी पटरी पर और पकड़ेगी रफ्तार

कब लौटेगी बाजार और बाग बगीचों की रौनक
कब खत्म होगी दहशत और लौटेगी मुस्कराहट

कब समाप्त होगी दिलों के बीच की दूरियाँ और वहम
कब हम खुशी से जी सकेंगे और न होंगे हम पर सितम

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