1 FEB 2020 AT 10:36

जिंदा रहने के लिए कितने जतन करने पड़ते हैं
कभी झूठ का सहारा तो कभी सच बोल के फंसते हैं
सारे तिकड़म अपना कर जीवन जिया जाता है
वरना सीधे सच्चे लोगों पर लोग फब्तियां कसते हैं
हर इंसान दूसरे को बेवकूफ ही समझता है
अनपढ़ भी पढ़े लिखे को भी ठगता दिख जाता हैं
निज स्वार्थ के लिए लोग इस हद तक गिर जाते हैं
छोटे से लाभ के लिए दूसरों पर बड़ी चोट कर जाते हैं
इंसान अपने वजूद के लिए सतत् संघर्ष करता है
छोटी सी जिंदगी में जाने कितनी बार मरता है
मालूम नहीं इंसान दुनिया में किसलिए आता है
पैदा होता जिंदगी से लड़ता और मर जाता है
चमत्कार की तलाश में उसकी निगाह सदा रहती है
तकदीर कभी धोखा देती तो कभी साथ होती है
जब वह खुद से थक हार कर बेहाल हो जाता है
मंदिर और मस्जिद की शरण में पहुँच जाता है
नाटक के पात्र की तरह अपना किरदार निभाता है
अपना समय बिताकर दुनिया से चला जाता है

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