जीवन की यह रीत समझ नहीं आती
एक एक दिन उम्र ढलती चली जाती
उम्र का सफर धीरे धीरे कटता जाता
सांसो का खजाना भी घटता जाता
जीवन की सुबह से ऐसे ही शाम होती
इंसान की जिंदगी यूँ ही तमाम होती
तमाम सपने देखते हुए हम जी लेते
अधूरे ख्वाब लिए रुखसत हो लेते-
16 JAN 2020 AT 9:50