जीवन की यह रीत समझ नहीं आतीएक एक दिन उम्र ढलती चली जातीउम्र का सफर धीरे धीरे कटता जातासांसो का खजाना भी घटता जाताजीवन की सुबह से ऐसे ही शाम होतीइंसान की जिंदगी यूँ ही तमाम होतीतमाम सपने देखते हुए हम जी लेतेअधूरे ख्वाब लिए रुखसत हो लेते -
जीवन की यह रीत समझ नहीं आतीएक एक दिन उम्र ढलती चली जातीउम्र का सफर धीरे धीरे कटता जातासांसो का खजाना भी घटता जाताजीवन की सुबह से ऐसे ही शाम होतीइंसान की जिंदगी यूँ ही तमाम होतीतमाम सपने देखते हुए हम जी लेतेअधूरे ख्वाब लिए रुखसत हो लेते
-