16 JUN 2020 AT 10:05

इस जग में ख्वाहिशें अनगिनत और अपार हैं
जब तक ये ख्वाहिशें हैं तब तक ही संसार है
बिन ख्वाहिशों के जिंदगी होती है रेगिस्तान
दूर तक न कहीं छांव न ठहरने का कोई मुकाम
इंसान की फितरत है नित नए ख्वाब देखना
इन ख्वाबों के साथ जिंदगी का सफर तय करना
हर ख्वाब मुकम्मल हो किसी के वश में नहीं होता
इन ख्वाबों की सवारी कर इंसान जिंदगी जी लेता

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