14 APR 2020 AT 17:35

हम चाहते हैं कहीं जाना और वह कहीं और ले जाती है
ऐ जिंदगी तेरे इस मिजाज से मेरी नींद तक उड़ जाती है
रहम नहीं आता तुझे तू इस तरह हमें आए दिन सताती है
आधी उम्र तो तेरे खुराफातों को समझने में गुजर जाती है

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