30 AUG 2020 AT 10:48

हम भी परिंदो की तरह उड़ते जो आसमां में
रुकते न हमारे कदम किसी भी एक जहाँ में
आज यहाँ कल वहाँ सफर चलता ही रहता
दुनिया से परे घूमते हम हर एक गुलिस्तां में

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