हम भी परिंदो की तरह उड़ते जो आसमां मेंरुकते न हमारे कदम किसी भी एक जहाँ मेंआज यहाँ कल वहाँ सफर चलता ही रहतादुनिया से परे घूमते हम हर एक गुलिस्तां में -
हम भी परिंदो की तरह उड़ते जो आसमां मेंरुकते न हमारे कदम किसी भी एक जहाँ मेंआज यहाँ कल वहाँ सफर चलता ही रहतादुनिया से परे घूमते हम हर एक गुलिस्तां में
-