गुजरते वक्त के साथ खुद को बदलना ही पड़ता हैराह में मिले फूल या शूल आगे को बढ़ना पड़ता हैमुश्किल बहुत होता है अपने उसूलों से समझौताक्या करें जीने की खातिर कई बार मरना पड़ता है -
गुजरते वक्त के साथ खुद को बदलना ही पड़ता हैराह में मिले फूल या शूल आगे को बढ़ना पड़ता हैमुश्किल बहुत होता है अपने उसूलों से समझौताक्या करें जीने की खातिर कई बार मरना पड़ता है
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