2 JUN 2020 AT 11:31

गर्व किस बात का जग में सब कुछ मिट जाता यहाँ
दौलत हो या शोहरत सबका रंग फीका पड़ जाता यहाँ
शक्तिशाली हो कितना भी धूमिल हो जाती है छवि
वक्त के पहिये में दबकर सब कुछ खो जाता यहाँ
आज है जो वो कल होगा कोई दावा न कर सकता
अहम किस बात का जग में हर कोई मेहमान है यहाँ

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