दूर हूँ तुमसे प्रिय दिल ये उदास है
यादों से बुझती नहीं प्रेम की प्यास है
सपनों में आती रोज करके श्र्ंगार तुम
दूर से ही करती बात, आती न पास तुम
जीवन की राह में कहीं भी न चैन है
मिलने को दिल मेरा तुमसे बेचैन है
डगमगा रही मेरे जीवन की नाव है
न तो है साथ कोई न ही पतवार है
आंखों के सामने छाया है अंधेरा
जीवन में प्रेम का होगा कब सबेरा
रुठ गई खुशियाँ टूट गए सपने
मिलकर प्रिय जो देखे थे हमने-
17 APR 2020 AT 20:34