दीप आशा के जब तक जलते रहे
हम अंधेरे से बच कर निकलते रहे
किया हमने अंधेरे का डटकर सामना
हम भी जुगनू की तरह भटकते रहे
खौफ अंधेरे का हमको अब न रहा
हम उजाला समझ कर गुजरते रहे
जब तक अंधेरे में कटती रही जिंदगी
लोग हमसे किनारा करते रहे
जब भी चाहा उजालों से गुजरे सफर
पर अंधेरे हमें प्यार करते रहे
उजाला जब कभी हुआ भी मयस्सर
लोग फब्तियां नाकामी की कसते रहे-
13 MAR 2020 AT 13:16