धड़कन में बसे हो तुम हम तुमको न भूला पाए
तुम हो गए इतनी दूर हम चाह के भी न आ पाए
देखा करती हैं नजरें तुम्हे इस मन के आंगन में
एक बार चले आओ प्यास दिल की बुझ जाए
हम हो गए अधीर इतने कुछ भी न समझ आता
उम्मीद का परिंदा है जो उड़ कर भी कहां जाए-
1 JUN 2020 AT 15:34